Bhool Bhulaiyaa 3 reviews : अनीस बज्मी निर्देशित और कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) अभिनीत हॉरर कॉमेडी फिल्म भूल भुलैया 3 ने आखिरकार सिनेमाघरों में एंट्री कर ली है। पिछले दो साल से इस फिल्म का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। अब सवाल ये है कि क्या ये फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरी है या नहीं। जानने के लिए भूल भुलैया 3 का फुल मूवी रिव्यू पढ़ें और जानें, क्या ये फिल्म दर्शकों के दिलों में खास जगह बना पाई है।
हॉरर कॉमेडी फिल्मों में स्त्री 2 ने 600 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। इस जबरदस्त सफलता के बाद, हॉरर कॉमेडी जॉनर की अन्य फिल्मों के लिए यह एक चुनौती बन गई है। भूल भुलैया 3 इस प्रतिस्पर्धा में फीकी साबित हुई। 2007 में प्रियदर्शन द्वारा प्रस्तुत की गई भूल भुलैया ने इस जॉनर को एक नई दिशा दी थी, लेकिन आज की पीढ़ी में इस लीग में कामयाबी पाना आसान नहीं है। कल्ट फिल्मों को सफल बनाने में मेहनत लगती है, पर कमजोर कड़ी बनने में देर नहीं लगती।
भूल भुलैया 3 की कहानी में क्या है खास?
भूल भुलैया 3 की कहानी में रूह बाबा (कार्तिक आर्यन) फिर से अपने ढोंग वाले अंदाज में भूतों का पकड़ने का नाटक कर रहे हैं। इस बार, उन्हें राजघराने से जुड़ी मीरा (तृप्ति डिमरी) और उनके मामा (राजेश कुमार) रक्त घाट की हवेली में मंजुलिका के भूत से निपटने के लिए बुलाते हैं, और इसके लिए रूह बाबा को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव मिलता है। हवेली में एक कमरे में मंजुलिका का भूत कैद है, और ये नई चुनौती रूह बाबा को स्त्री 2 जैसी फिल्मों के मुकाबले पर लाती है, जो हॉरर-कॉमेडी में नई परिभाषाएं स्थापित कर रही हैं।
भूल भुलैया 3 की कहानी में 200 साल पहले कैद की गई मंजुलिका के खात्मे की भविष्यवाणी के साथ रहस्यमयी मोड़ आता है। भविष्यवाणी के अनुसार, उसी राजघराने से पुनर्जन्म लेकर कोई व्यक्ति दुर्गाष्टमी के दिन मंजुलिका का अंत करेगा। रूह बाबा (कार्तिक आर्यन) की शक्ल राजकुमार देवेंद्र नाथ से मिलती है, जिससे राजपुरोहित (मनीष वाधवा) उन्हें पुनर्जन्म मान लेते हैं। कहानी में मंजुलिका (विद्या बालन) और अंजोलिका (माधुरी दीक्षित) की एंट्री के साथ क्लाइमेक्स में ऐसा ट्विस्ट आता है जो दर्शकों को चौंका देता है।
कमजोर डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले ने किया निराश
क्लाइमेक्स के बाद कई सवाल अनसुलझे रह जाते हैं। मंजुलिका के द्वारा किए गए कार्यों में तारतम्य ढूंढना मुश्किल हो जाता है। जैसे, जब खुफिया दरवाजे के पीछे कैद आत्मा बाहर नहीं निकली थी, तो मल्लिका का निशाना इतना सटीक कैसे था? अंत में, रूह बाबा की गर्दन मंजुलिका के हाथ में होते हुए दिव्य तेल से घेरा बनाकर आग लगाने पर उसकी आत्मा बाहर मौजूद अंजोलिका में कैसे प्रवेश करती है?
फिल्म के लेखक आकाश कौशिक ने कहानी, स्क्रीनप्ले और संवाद में भरपूर कोशिश की है, लेकिन कई दृश्यों में लॉजिक की कमी और बेवजह की कॉमेडी ने इसका प्रभाव कमजोर कर दिया। ट्रेलर में जितने जोक्स दिखाए गए थे, उनसे अलग कुछ नया फिल्म में नहीं मिलता। हँसी और डर का तालमेल बिठाने की कोशिशें कहीं-कहीं कमजोर पड़ जाती हैं, जिससे जॉनर का प्रभाव कम होता है।
अनीस बज्मी का निर्देशन भूल भुलैया 3 में अपेक्षाकृत कमजोर साबित हुआ है। कार्तिक आर्यन और तृप्ति डिमरी के बीच बिना जरूरत का रोमांस और गाने ने कहानी की गति को धीमा कर दिया है। फिल्म में आमी जे तोमार और हरे राम हरे राम जैसे पुराने हिट गानों पर निर्भरता फ्रेंचाइज़ी की यादें तो ताजा करती है, लेकिन नए गानों की कमी साफ महसूस होती है।
कलाकारों की एक्टिंग: कैसा रहा प्रदर्शन?
कार्तिक आर्यन ने अपने खास अंदाज में दर्शकों का मनोरंजन किया, हालांकि कुछ पलों में वे प्यार के पंचनामा के जोन में चले गए। लेकिन क्लाइमेक्स में उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा। विद्या बालन, जो 17 साल बाद मंजुलिका की भूमिका में लौटीं, को इस रोल के आइकोनिक होने का डर था, और उनका यह डर फिल्म में स्पष्ट रूप से दिखा। वहीं, माधुरी दीक्षित ने अपने अनुभव और नृत्य कौशल से फिल्म को संभालने की कोशिश की, जिससे उनकी एक्टिंग में गहराई दिखाई देती है।
विद्या बालन और माधुरी दीक्षित का डांस फिल्म के टिकट के पैसे वसूलने में कुछ हद तक मददगार साबित होता है। हालांकि, राजपाल यादव छोटे पंडित के किरदार में निराश करते हैं, और शाह रुख खान की फिल्म “जवान” के संदर्भ में उनका प्रवेश कोई हास्य प्रभाव नहीं छोड़ता। तृप्ति डिमरी, जो एक अच्छी अभिनेत्री हैं, इस फिल्म में केवल शोपीस के रूप में नजर आती हैं। “बॉर्डर” के गाने “संदेशे आते हैं…” का इस्तेमाल जिस तरह से किया गया है, वह दर्शकों को निराश करता है। इसके अलावा, महंगे टिकटों की कीमतें इस निराशाजनक फिल्म को देखने का दुख और बढ़ा देती हैं।
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